गुरुवार, अप्रैल 05, 2012

लिखी न जाए

2 टिप्‍पणियां:

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

ये भी अच्छी सोच और शुरुआत... शुभ कामनाएं ...हम लोग आप की रचनाओ को चुन कर लेकिन बिना चुराए बोल कर ले जाते रहेंगे और आप संजोते रहेंगे ,,,,बिखरी मोतियों को पिरोइए माला बन ही जायेगी ....

आदरणीय दिलबाग विर्क जी सुन्दर मनभावन चर्चा ..सुन्दर लिंक्स , हर तरह के रंगों को संजोती हुयी -बधाई - मेरी भी एक रचना होंठ रसीले -रस रंग भ्रमर का से आप ने चुना सुन मन खुश हुआ
जय श्री राधे
भ्रमर ५

कुमार राधारमण ने कहा…

बहुत दिलचस्प है।

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